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हिन्दुतान ऐरोनौटिक्स लिमिटेड कर रही है ऐसे एयरक्राफ्ट पर रिसर्च जो भविष्य में बिना पायलट के करेंगें बालाकोट जैसे अटैक | क्या हमारे सौरमंडल के ग्रहों के चंद्रमयों के समन्दरो में जिंदगी मौजूद है ?

हिन्दुतान ऐरोनौटिक्स लिमिटेड कर रही है ऐसे एयरक्राफ्ट पर रिसर्च जो भविष्य में बिना पायलट के करेंगें बालाकोट जैसे अटैक

एक भविष्य के बालाकोट-टाइप की एयर स्ट्राइक की कल्पना करिये जहाँ भारतीय वायु सेना अपने पुरानें हो चुके मिग-21 को एक्स्पोस करने के बजाय तेजस फाइटर जेट्स के साथ आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस युक्त मानवरहित ड्रोन से करेंगे बालाकोट जैसे हवाई हमलें।

इस कांसेप्ट को पहली बार 2018, बेंगलुरु में एक सीनियर HAL के टेस्ट पायलट ने रखा ताकि भविष्य में जंग के दौरान भारतीय एयरक्राफ्टस्स और पायलटों को कम से कम नुकसान हो। अगले दो सालों में, 400 करोड़ रुपये की फंडिंग के साथ, एचएएल ने कॉम्बैट एयर टीम्स सिस्टम (CATS) को डेवेलप किया है, जो भारतीय वायुसेना की ताक़त में इजाफा करेंगे।

CATS एडवांस्ड ऑटोनोमस मानवरहित ड्रोनों के एक नेटवर्क को लड़ाकू विमानों से जोड़ेगा जो बाद में जंग के दौरान दुश्मन की हवाई क्षेत्र में घुसे बिना एयर टू एयर और एयर टू ग्राउंड हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करेंगे।

कैट्स की डेवेलपमेंट की तीन प्रमुख कारण हैं : पहली वजह है दूसरे देशों की तुलना में भारत की लिमिटेड मिलिट्री रिसोर्सेज, दूसरी वजह है भविष्य के एडवांस्ड इक्विपमेंट्स बनाने की भारत की अपनी महत्वाकांक्षा और तीसरी वजह है दुश्मन के हवाई क्षेत्र पर हमलों के लिए ज्यादा से ज्यादा मानवरहित प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करने के लिए भारत की सामरिक प्राथमिकता।

कैट्स का मैन मकसद टीम वर्क को बढ़ाना था। हर सर्विस में, टीमवर्क कामयाब होने और सरवाइव करने की कुंजी है, चाहे आप एक सैनिक हों, सेलर हों या एयरमैन हों, हालांकि, 90 के दशक में पायलटों के लिए जोखिम को कम करने के लिए इस तरह की ऑटोनोमस टेक्नोलॉजी को डेवेलप कर पाना असंभव था। लेकिन आज ऐसा नहीं है, आज हमारे पास ऐसा करने के लिए तकनीक मौजूद है।

यह आईडिया हमारे पायलटों को वायु सेना में बदलने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें सपोर्ट देने के लिए है। इस टीम में मदरशिप शामिल है, जो टेस्टबेड के केस में  टू-सीटर तेजस के साथ साथ ही कई अलग-अलग प्रकार के ड्रोन हैं, जिसमे से एक CATS वारियर है, यह एक बड़ा ड्रोन है जिसका इस्तेमाल हवाई या जमीनी टारगेट्स पर सटीक हमला करने के लिए किया जा सकता है।

दूसरा CATS हंटर है जो तेजस से जुड़े विंगपोड्स में लैस होतें है। हंटर एक प्रकार का रिकवरेबल क्रूज मिसाइल है, जिसमें 250 किलोग्राम का वारहेड अटैच्ड होता है। जब इसके पेलोड के बटन को दबाया जाता है, तो यह लंबे समय तक हवा में रह सकता है, साथ ही यह स्ट्राइक ज़ोन्स को जाम करने, निगरानी या टोह लेने और स्ट्राइक ज़ोन्स की पोस्ट-एक्शन फिल्मिंग कर सकता है।

एक तीसरा ड्रोन, CATS अल्फा है जो काफी छोटा है, जो 5-8 किलोग्राम वॉरहेड से लैस है और यह टारगेट को स्वार्म कर सकते हैं यानि घेर सकते हैं। यह प्रोजेक्ट भविष्य की उन्नत तकनीकों को विकसित करने के लिए एचएएल के एक बड़े सपने का हिस्सा है। हम नहीं चाहते कि हमारे पायलट दुश्मन के खतरनाक इलाकों में जान जोखिम में डालने जाएं, इस प्रोजेक्ट से जुडे एचएएल के ऑफिसर का कहना है कि अपने पहले फ्लाइट टेस्ट के लिए एक प्रोटोटाइप बनाने में अभी लगभग चार साल लगेंगे।

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