क्या दक्षिण चीन सागर में चीन पर लगाम लगा पायेगा भारतीय ब्रह्मोस ?
पिछले साल, फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने
दक्षिण चीन सागर इलाके में चीन से दो दो हाथ करने का फैसला टाल दिया था। क्या वाकई
इसमें सच्चाई है ? उन्होंने कहा था कि चीन के साथ टकराव के ऊपर वो कूटनीतिक
प्रयासों' को आगे बढ़ाना ज्यादा बेहतर समझते हैं, क्योंकि चीन के
पास मिलिट्री ताकत है।
तो फिर अचानक अब, फिलीपींस ने भारत के साथ घातक
ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए सीक्रेट डील क्यों किया ? जैसा कि हम जानते हैं कि मीडियम
रेंज की रैमजेट सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल बेहद खतरनाक और प्रभावी हथियार है
जो निश्चित रूप से किसी भी धमकी देने वाले राष्ट्र यानी चीन पर लगाम लगायेगा, चीन
भी इस डील को नोटिस जरुर कर रहा होगा।
इस इंडो-रसियन जॉइंट वेंचर, ब्रह्मोस को सबमरीन, शिप्स, एयरक्राफ्टस्स और
ग्राउंड लौन्चर्स से दुश्मन के ठिकानो को नष्ट करने के लिये छोड़ा जा सकता है। राडार
की रेंज से परे समुद्री टारगेट्स को मारने में कैपेबल, यह मिसाइल एक
छोटे से राष्ट्र के लिए एकदम सही हथियार है, जो बिना रिसर्च और
डेवेलपमेंट की कास्ट की फिक्र किये हुए 3.5 मैश जैसी बेहद ही घातक स्पीड वाली इस
हथियार का इस्तेमाल अपने दुश्मनों के खिलाफ कर पायेंगे।
ब्रह्मोस के शुरुआती वर्ज़न 290 किलोमीटर की रेंज तक ही हमला कर सकते थे, लेकिन पिछले साल भारत ने लगभग 400 किलोमीटर की एक्सटेंडेड रेंज का टेस्ट किया था, वहीँ भारत 1,000 किलोमीटर से भी ज्यादा रेंज की मिसाइलों को भी टेस्ट कर रहा है।
कुछ डिफेन्स एक्सपर्ट्स का कहना है की फिलीपींस के पास इतना
इन्फ्रास्ट्रक्चर और मैनपावर नहीं है जिससे वो इस मिसाइल को परचेस कर पाए, इसकी
ट्रेनिंग और मेन्टेनांस का खर्च उठा पाए, यही वजह है मोदी सरकार ने फिलिपींस को
100 मिलियन US$ का सॉफ्ट लोन देने का फैसला लिया है। अगर डील
फाइनल हो जाता है तो फिलिपींस को दिये इस डिफेन्स क्रेडिट लाइन को बढाया भी जा
सकता है।
बेजिंग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है, जो कि 3.6 मिलियन
स्क्वायर किलोमीटर में फैला है। जो फिलिपींस के स्पेशल इकनोमिक जोन को भी ओवरलैप
करता है, इस इलाके में चीन ने आर्टिफीसियल आइलैंडस्स बनाकर फिशिंग, और पेट्रोलियम
एक्सप्लोरेशन पर भी रोक लगा दी है। चीन के इसी अड़ियल रवैये से निपटने के लिए
फिलिपींस अपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर और डिफेंस को मज़बूत करने मे लगा हुआ है, वहीँ
गलवान में चीन के साथ खुनी टकराव के बाद, भारत चीन को एग्रेसिव तरीके से हैंडल
करने की नीति पर काम कर रहा है जिसमे भारत चीन से परेशान सभी देशो को मज़बूत करने
की दिशा मे कड़ी फैसले ले रहा है, उनसे रिश्ते मज़बूत कर रहा है फिर चाहे वो
फिलिपींस और इंडोनेशिया को मिसाइल देने का फैसला हो या श्रीलंका को तेजस फाइटर जेट्स
एक्सपोर्ट करने का फैसला हो, भारत अब चीन को उसी की
भाषा मे जवाब देने की रणनीति पर काम कर रहा है।
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