क्या मंगल पर बसाई जा सकेंगी
इंसानी बस्तियां ? क्या होगा जब मंगल पर इंसानों का होगा एलियंस से सामना ? क्या
मंगल होगा इंसानों के लिये पृथ्वी से परे जीवन के लिए पहला पड़ाव ? इसी टॉपिक पर
करेंगें इस ब्लॉग में डिटेल्ड डिस्कशन।
मंगल पर इंसानी बस्तियां बसाना
अभी बहुत दूर की बात है लेकिन नामुमकिन नहीं है। पिछले कुछ दशकों में पृथ्वी से
परे जीवन की खोज में तेज़ी आई है जिसमें मंगल सबसे खास है। बीते कई सालों में
वैज्ञानिकों ने मंगल पर कई अलग अलग तरह की इंसानी इमारतें और इंसानी बेस को
प्रोपोस किया है।
अंतरिक्ष एजेंसियां ब्रह्मांड में अन्य दूर के ग्रहों पर वायुमंडल और पानी जैसे लाइफ को सपोर्ट करने वाली जरुरी एलिमेंट्स की अग्रेसिवली जांच कर रही हैं। ज्यादातर ग्रह पर पानी मौजूद नहीं है, और टेम्परेचर में एक्सट्रीम वेरिएशन्स हैं जिसमें जिंदगी नहीं पनप सकती, इसलिए ऐसे ग्रहों पर इंसानी बेस नहीं बनाया जा सकता। लेकिन चंद्रमा और मंगल जीवन को बनाए रख सकते हैं, इसलिए इन्हें, ह्यूमन एक्सपेंशन और सर्वाइवल के लिए एक आल्टरनेटिव की तरह देखा जा रहा है।
अपनी लाल रंग की लुक की वजह से
मंगल रेड प्लेनेट के नाम से पॉपुलर है, मंगल हमारे सौर सौरमंडल
का चौथा ग्रह है। मंगल की सतह पर जंग लगी चट्टानें इसके नारंगी-लाल रंग के दिखने
का कारण हैं।
मंगल पर कई मिशंस भेजे जाते रहें हैं जिसमें 2004 में नासा के मार्क्स फीनिक्स लैंडर ने मंगल ग्रह की सतह के नीचे बर्फ होने का दावा किया। क्यूरियोसिटी नाम का एक ओर मिशन 2012 में मंगल ग्रह पर उतरा, इसने मंगल पर ऐसे इलाकों की खोज की जिसमें सोक्ड वाटर और मीथेन की मौजूदी के एविडेंस थे। ऐसे भी सबूत मिलें है जिनसे यह साफ होता है की अतीत में मंगल पर नदिया बहती थी, इन रोवर्स और लैंडर्स से भेजी गयी तस्वीरों में सुखी हुई नदी की धाराओं को देखा जा सकता है, और हालिया पर्ज़ीवरेन्स रोवर ने भी मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना और मंगल ग्रह पर इंसानी कोलोनिस बसाये जाने की संभावना को बढ़ाया है और साथ ही वैज्ञानिक मंगल पर एलियन लाइफ की मौजूदगी की भी पड़ताल कर रहे हैं।
ऐसी कई वजह हैं कि आज हम इंसानों
को पृथ्वी से बाहर बसाने के लिए एक सुरक्षित जगह की तलाश कर रहे हैं। हमारे पास हिमयुग
और अतीत में एस्टेरोइड के पृथ्वी से टकराने जैसी भयानक घटनाओं के सबूत हैं जिसनें
पृथ्वी से डायनासोर जैसी विशाल प्रजाति तक का सफाया कर दिया था। यही वजह है की हम
मंगल पर इंसानी बस्तियां बनाकर इंसानी जिंदगी के लिए वैकल्पिक समाधान ढूंढ रहें
हैं।
मंगल पर इंसानी बस्तियां बसाने
के रास्ते में बहुत सारी चुनौतियां हैं। इसमें इंजीनियरिंग, साइंस, ह्यूमन हेल्थ, टेक्नोलॉजी, मेडिसिन, ह्यूमन साइकोलॉजिकल बिहेवियर
सभी डिपार्टमेंटस्स को मिलकर काम करना होगा। इन्सान हमेशा बाहरी दुनिया के बारे
में उत्सुक रहा है जिसने ब्रह्माण्ड को एक्स्प्लोर करने के लिए हमें मोटीवेट किया
है। हम इंटेलीजेंट हैं और हमारे अन्दर अडैप्ट करने की क्वालिटी है, हाई रेकोगनिसन कैपेबिलिटी
और सर्वाइवल स्टैमिना भी मौजूद है, यह सभी चीजें इंसानों को मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं की
कल्पना करने के लिए एनकरेज करती हैं।
मंगल पर जीवन को सपोर्ट करने के
लिए कई चीजें ऐसी हैं जो हमारी पृथ्वी से मेल खाती हैं जैसे
इम्पैक्ट क्रेटेर्स - मंगल और पृथ्वी दोनों की सतह पर क्रेटेर्स मिलतें
हैं।
मैगनेटिक फील्ड - हालांकि, मंगल के पास अब मैगनेटिक
फील्ड नहीं है। लेकिन अतीत में मंगल का खुद का अपना मैगनेटिक फील्ड हुआ करता था।
ज्वालामुखीय गतिविधियाँ - पृथ्वी और मंगल दोनों में सक्रिय ज्वालामुखी हैं जो अभी भी एक्टिव
हैं।
लिक्विड वाटर की मौजूदगी - अतीत में मंगल पर पानी की मौजूदगी थी जैसे की आज हमारी
पृथ्वी पर है।
दोनों ही ग्रहों का अपना सीजनल
साइकिल और वातावरण है हालाकिं मंगल का वातावरण बेहद ही पतला है, मंगल पर ऑक्सीजन
बेहद की कम मात्रा में मौजूद है, वहीँ कार्बन-डाइऑक्साइड बहुत ज्यादा है।
अतीत में मंगल का वातावरण घना
होता था करीब 1000 म्बार, तब इसकी सतह में तरल पानी मौजूद था। लेकिन वर्तमान में, मंगल में 6 mbar का ही अट्मोसफेयरिक प्रेशर है और इसलिए अब इसकी सतह पर पानी मौजूद नहीं है।
यहाँ बेहद ठंडी हवाएं बहती हैं, और खतरनाक डस्ट स्टोर्म्स भी आते रहतें हैं।
हमारी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और आधुनिक
उपकरण एक अद्भुत रोबोट-ह्यूमन कोलैबोरेशन प्रोवाइड करते हैं जिनसे हम मंगल को
एक्स्प्लोर कर सकते हैं, सर्वे कर सकते हैं, साथ ही इंसानों को बसाने के लिये
कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज भी कर सकते हैं जिनसे मंगल पर इंसानी बेस बनाया जायेगा।
मंगल पर सबसे बड़ी समस्या है
रेडिएशन और माइक्रो-ग्रेविटी, मंगल का वातावरण बेहद पतला है जिसमें पृथ्वी की तरह
ओजोन परत नहीं है जो सूरज से आने वाली अल्ट्रा-वायलेट रेडिएशन को रोक पाये, साथ ही
मंगल अपना मैगनेटिक फील्ड भी खो चूका है
इसलिए हमें रेडिएशन से बचने के लिए एक ऐसा स्ट्रक्चर, बेस बनना होगा जो हमे सूरज
की खतरनाक रेडिएशन से बचा पाए, लंबे समय तक रेडिएशन की ज्यादा एक्सपोज़र, मंगल पर बसने वाले
एस्ट्रोनॉट्स इंसानों की हेल्थ के लिए रिस्की हो सकता है।
इसलिए मंगल की सतह के ऊपर IN-SITU 3D टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
करके सॉलिड डोम शेप्ड बेस बनाया जायेगा जिसके अन्दर इन्सान रहेंगे, टनल के सहारे
एक बेस दुसरे बेस से कनेक्ट होगा, हम मंगल की सतह की गहराई में भी बेस बना सकते
हैं जो हमे रेडिएशन, तुफानो या फिर किसी बाहरी टक्कर से भी सुरक्षित रखेगा।
इंसानी बेस के लिये हम
आर्टिफीसियल मैगनेटिक फील्ड जनरेटर का भी इस्तेमाल कर रहे होंगे जो हमारे बेस पर
आने वाली रेडिएशन को रोकेगी। इससे भी बेहतर एक विशाल मैगनेटिक शील्ड को सूर्य और
मंगल की ऑर्बिट Mars' L1 लग्रेंज पॉइंट में इंस्टाल किया जा सकता है जो सोलर रेडिएशन और सोलर विंड
से इंसानों को प्रोटेक्ट करेगी।
मैगनेटिक फील्ड जनरेटर ना सिर्फ रेडिएशन से सुरक्षा देगा बल्कि ये मंगल पर बसने वाले एस्ट्रोनॉट्स और इंसानों को माइक्रो ग्रेविटी से भी प्रोटेक्शन देगा, इसके अन्दर पृथ्वी के समान ग्रेविटी को मेन्टेन किया जा सकेगा।
न्यूक्लियर पॉवर प्लांट्स और
सोलर पेनल्स इंसानी बेस के लिए पॉवर सप्लाई करेंगें।
मंगल के ध्रुवों पर मौजूद बर्फ
या मंगल की सतह के नीचे मौजूद पानी को एक्सट्रेक्ट करने वाली रोबोटिक वाटर आइस
माइनिंग स्टेशन भी इंस्टाल किये जायेंगें क्यूकि इंसानों को जिन्दा रहने के लिये
पानी बेहद जरुरी है। अदरवाइज पानी की कमी और डिहाइड्रेशन इंसानों के लिए खतरनाक
साबित होगी।
सब्जियां उगाने के लिए
ग्रीनहाउस का निर्माण करना होगा जो भोजन और पौधों को उगाने के लिए जरुरी होंगे,
यही पौधे हमे मंगल जैसे एक्सट्रीम कोल्ड में ऑक्सीजन सप्लाई करेंगे।
मंगल को इंसानों के रहने लायक
बनाने के लिए हमे मंगल को गर्म करना होगा, ताकि इसका तापमान
इंसानों के रहने लायक बन सके, जिसके लिए हमे ग्रीन हाउस गैस यानि
कार्बन-डाइऑक्साइड जनरेटर की भी जरुरत होगी, जिससे हम मंगल को गरम
करेंगे फिर धीरे धीरे ऑक्सीजन की लेवल को बढ़ाएंगे ताकि मंगल का खुद का अपना घना
वातावरण फिरसे डेवलप हो पाए।
मंगल पर बसने के लिए हो सकता है
हम अपने डीएनए को भी ट्वीक कर लें,बेहतर रॉकेट्स, प्रोपल्शन
सिस्टम भी बना लें लेकिन तब क्या होगा अगर इन्सान मंगल पर उतरे और उसका सामना मंगल
पर मौजूद एलियन लाइफ से हो जाये ? यह सबसे बड़ा सवाल है जो जीवन के लिए सबसे बड़ा
खतरा साबित हो सकता है।
अगर मंगल पर इंसानों का सामना
सायनो-बक्टेरिया जैसे वेजिटेटिव बैक्टीरिया से हुआ, फिर तो यह मंगल पर इंसानी
बस्तियां बसाने और मंगल पर पौधे उगाने और खेती में मददगार होगा लेकिन अगर मंगल पर
इंसानों का सामना किसी ऐसे बैक्टीरिया या अंजान वायरस से हो गया तो यह पूरी इंसानी
सभ्यता के लिए खतरानाक होगा।
ऐसा वायरस जो इंसानों के डीएनए
को म्यूटेट करदे, और इंसानों को चलता फिरता ज़ोंबी बना दे, ऐसे इन्फेक्टेड
एस्ट्रोनॉट्स जब पृथ्वी पर लौटेंगें तब यह वायरस धरती पर भी तबाही मचा देगा, हो
सकता है धरती से इंसानों का ही सफाया हो जाये। जैसा की हमने कई साइंस फिक्शन मूवीज
में देखा है।
और कहीं मंगल पर इंसानों का सामना पहले से ही मौजूद एलियन बेस से हुआ तो यह कल्पना कर पाना भी हमारी सोच से परे है, की एलियंस इंसानों को देख कैसे रियेक्ट करेंगे, क्या वो हम इंसानों को एबडक्ट कर लेंगें ? क्या वो अपनी UFO के साथ पल भर में ओझल हो जायेंगे या फिर हमारा मुकाबला करेंगे, यह सब विज्ञानं कथायों जैसा लग रहा है लेकिन यह सब पॉसिबल है।