Showing posts with label ins vishal latest news. Show all posts
Showing posts with label ins vishal latest news. Show all posts

भारत क्यों बना रहा है एयरक्राफ्ट केरियर के अनगिनत बेडे, क्या वजह है इसके पीछे ?

भारत क्यों बना रहा है एयरक्राफ्ट केरियर के अनगिनत बेडे, क्या वजह है इसके पीछे ?

प्रेजेंट में, भारत के पास दो एयरक्राफ्ट केरियर यानि युद्धपोत हैं - INS विक्रमादित्य और INS विराट, जबकि भारत 2030 तक तीसरे एयरक्राफ्ट केरियर INS विशाल को डेवलप करने की योजना बना रहा है। सवाल यह उठता है कि भारत एयरक्राफ्ट केरियरस्स का एक बड़ा बेड़ा क्यों डेवलप कर रहा है ?

इसके तीन कारण हो सकते हैं।

पहली वजह है पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के लिये खुद को तैयार रखने की रणनीति, जिसमें पाकिस्तानी नौसेना की संपत्ति और जमीनी ठिकानों के खिलाफ हमले शामिल होंगे। दूसरी वजह है, ये एयरक्राफ्ट केरियर भारतीय नौसेना को हिंद महासागर में मेज़र फ़ोर्स बनाते हैं, जो किसी भी बाहरी ताक़त से इस इलाके में लडने के लिये बेहद जरुरी है।

तीसरी वजह है चीन के साथ बढती जियोपोलिटिकल कम्पटीशन। वहीँ दूसरी तरफ पाकिस्तान की बात करें तो विक्रांत और विक्रमादित्य विमान में ज्यादा वेट की लिमिटेसन की वजह से पाकिस्तान के खिलाफ स्ट्राइक ऑपरेशन करने में मुश्किलें आ सकती हैं, हालांकि यह एयरक्राफ्ट केरियरस्स निश्चित रूप से पाकिस्तानी ध्यान आकर्षित करेंगे। इस बीच, भारतीय नौसेना हिंद महासागर में मेज़र फ़ोर्स होने के नाते, भारतीय केरियर हमेशा चीन, यूनाइटेड किंगडम, या यहां तक ​​कि अमेरिका की तुलना में हिंद महासागर में बेस और सपोर्ट फैसिलिटीस तक बेहतर पहुंच रखेंगे, और भारतीय केरियर की प्रेसेंस इस इलाके में ट्रेड रूट की सुरक्षा को भी मैनेज करते हैं।

वेसे सबसे मेंन वजह है चीन के साथ कम्पटीशन - बीजिंग ने बहुत कम समय में भारत के कमपेरिसन में नवल एविएशन में छलांग लगाने में कामयाब रहा है। चीन के पास एयरक्राफ्ट केरीयर बहुत हैं हालांकि उनके पास भारत जेसे अनुभव की कमी है, लेकिन इस कमी को चीन अपने रिमार्केबल शिप बिल्डिंग और सोफिसटिकेटेड एडवांस्ड एविएशन सेक्टर से पूरा करता है, जिससे वह विदेशी टेक्नोलॉजी पर कम निर्भर करता है।

हालांकि भारत चीन के साथ कंस्ट्रक्शन में जरुर स्ट्रगल कर सकता है, लेकिन चीन के साथ युद्ध या किसी भी टकराव की सिचुएशन में भारत अपनी जियोग्राफी का फायदा उड़ा सकता है। काफी आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, भारत ने आज़ादी के बाद के सालों में एयरक्राफ्ट केरियर को बहुत गंभीरता से लिया जहाँ चीन या यहां तक ​​कि सोवियत यूनियन से अलग, भारत ने सबमरीन के बजाय एयरक्राफ्ट केरियर पर ध्यान केंद्रित किया।

आईएनएस विक्रांत, एक मेजेस्टिक-क्लास लाइट कैरियर है, जिसने 1961 से 1997 तक सर्व किया, साथ ही इसने 1971 की लड़ाई में बेहद खास रोल प्ले किया। वहीँ आईएनएस विराट, जो पास्ट में सेंटूर क्लास के केरियर HMS हर्मीस के नाम से जाना जाता था, यह 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल हुए और इसने 2016 तक सेवा की।

प्रेजेंट में ऑपरेशनल आईएनएस विक्रमादित्य, जिसे पहले कीव-क्लास एयरक्राफ्ट केरीयर एडमिरल गोर्शकोव के नाम से जाना जाता था, इसे 2014 में सर्विस में शामिल किया गया था। 45,000 टन के आईएनएस विक्रमादित्य में लगभग बीस मिग-29K फाइटर जेट्स को यूटिलिटी हेलिकॉप्टर के साथ ऑपरेट किया जा सकता है। इस जहाज ने भारतीय नौसेना को आईएनएस विराट से केवल वर्टीकल शॉर्ट टेक-ऑफ एंड लैंडिंग फाइटर जेट्स की ऑपरेशन के सालों के बाद अपनी एविएशन शक्ति को रिडेवलप करने का मौका दिया। विक्रमादित्य भारतीय नौसेना के एविएशन विंग के रिस्ट्रक्चर की दिशा में पहला कदम था।

दूसरा कदम INS विक्रांत था जो अभी एक नया एयरक्राफ्ट केरीयर है, जो भारत के कोचीन शिपयार्ड में डेवलप 40,000 टन का स्की-जम्प कैरियर है। वहीँ 2009 में विक्रांत के डेवलपमेंट की नीव पड़ी जो 2020 के आसपास सर्विस में आएंगे, जिनमें विक्रमादित्य के समान ही एक एयर विंग भी होगा। फ़िलहाल भारत ने कुछ समय के लिए, सुखोई-33, F / A-18 होर्नेट या डसॉल्ट राफेल के बजाय     मिग-29K को अपने प्राइमरी नवल फाइटर जेट के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया है। बोइंग और डसॉल्ट दोनों कुछ हद तक भारत में एयरक्राफ्ट केरिएर पर यूज़ किये जाने वाले फाइटर जेट्स के एक्सपोर्ट के लिए होपफुल हैं। यहां तक ​​कि साब ने ग्रिपेन को नौसेना सर्विस के लिए कन्वर्ट करने में इंटरेस्ट शो किया है।

भारतीय नौसेना ने HAL तेजस के एक नौसैनिक वर्ज़न को डेवलप करने का भी प्लान किया था, लेकिन बुद्धिमानी दिखाते हुवे भारतीय नौसेना ने फ़िलहाल इसको खारिज कर दिया है। सर्विस में एक बडे एयरक्राफ्ट केरिएर के साथ और दूसरे एयरक्राफ्ट की डेवलपमेंट के साथ, भारत दुनिया की शक्तिशाली नौसेना में से एक बन गया है।

भारत केरिएर एविएशन के लिये कमिटेड है जिसके पास एक महाशक्ति बनने के लिए एक्सपीरियंस और रिसोर्सेज दोनों मौजूद हैं। भारत के नौसैनिक एविएशन प्रोजेक्ट का नेक्स्ट फेज INS विशाल है, जो 65,000 टन वजनी, एक CATOBAR यानि केटापुल्ट असिस्टेड टेक-ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी एयरक्राफ्ट केरिएर होगा जो कन्वेंशनल प्रोपेलर से ऑपरेट होगा। विक्रांत के साथ मिले अनुभव से उम्मीद है, इस एयरक्राफ्ट केरिएर के डिजाइन और डेवलपमेंट में आसानी होगी।

ऐसा लगता है आईएनएस विशाल के डेवलपमेंट के लिए भारत की पहुँच अमेरिकी एडवांस्ड टेक्नोलॉजीस तक होगी, जिसमें गेराल्ड आर फोर्ड क्लास में इस्तेमाल किए जाने वाले EMALS इलेक्ट्रोमैग्नेटिक केटापुल्ट सिस्टम भी शामिल हैं। विक्रांत या विक्रमादित्य से उलट, विशाल हैवी स्ट्राइक लांच करने के साथ साथ हैवी स्ट्राइक से रिकवर करने में भी सक्षम होगा और साथ ही E-2 हॉकऑय जैसे अर्ली वार्निंग प्लेंस को भी चकमा देने में कैपेबल होगा। विशाल को 2030 तक सर्विस में आना है, हालांकि टाइमलाइन को लेकर कुछ भी ठीक से कह पाना मुश्किल है।

IAC-2 Soon, Akash Prime Test, Tapas user evaluation trials

User evaluation trials of India's TAPAS UAV has started India's Tactical Airborne Platform for Aerial Surveillance (TAPAS), medium...

Popular Posts