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चीन और पाकिस्तान की खबर लेने आ रहें हैं भारतीय वायुसेना के हाइली एडवांस्ड NETRA MK2 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट

चीन और पाकिस्तान की खबर लेने आ रहें हैं भारतीय वायुसेना के हाइली एडवांस्ड NETRA MK2 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट

एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AEW & CS) भारतीय वायु सेना के लिए DRDO की एक परियोजना है। इसे NETRA एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम के रूप में भी जाना जाता है।

2003 में, भारतीय वायु सेना और DRDO ने एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम के लिए सिस्टम लेवल रिक्वायरमेंट और फिजिबिलिटी जो जानने के लिये एक जॉइंट रिसर्च किया था। इसके बाद सरकार ने DRDO के इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इस प्रोजेक्ट की प्राइमरी रेस्पोंसिबिलिटी सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम्स को दी गयी थी, जिसने सिस्टम के डिजाइन, सिस्टम इंटीग्रेसन और टेस्टिंग का नेतृत्व किया। वहीँ रडार एरे के डिजाइन के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार डेवेलपमेंट एस्टाब्लिश्मेंट (LRDE) को जिम्मेदारी दी गयी थी। साथ ही देहरादून में मौजूद डिफेन्स इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लीकेशन लेबोरेटरी को एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम की डेटा लिंक और कम्युनिकेशन सिस्टम्स की जिम्मेदारी दी गयी।

DRDO की एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम प्रोजेक्ट का लक्ष्य भारतीय वायु सेना को तीन रडार से लैस सर्विलांस एयरक्राफ्ट पहुंचाना था। इस प्रोजेक्ट के लिये एम्ब्रेयर ERJ 145 प्लेटफ़ॉर्म को चुना गया था। एयरफ़्रेम में कॉन्ट्रैक्टेड मॉडिफिकेशंस के साथ Embraer से तीन ERJ 145 300 मिलियन US $ की लागत से खरीदे गए थे। उस समय इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य 2013 तक इन एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्टस्स को तैनात करना था।

एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम AEW & C सिस्टम डेवेलप करने का भारत का एकमात्र पिछला प्रयास एयरबोर्न सर्विलांस प्लेटफ़ॉर्म था, लेकिन टेस्ट-बेड क्रैश होने के बाद, ऐरावत के कोडनेम वाले इस प्रोग्राम को रद्द कर दिया गया था। भारतीय वायुसेना द्वारा एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम AEW &C प्रोजेक्ट का मकसद इज़राइल से ख़रीदे गये बड़े और अधिक सक्षम EL/W-2090 AWACS को सप्लीमेंट करना था। 2010 में इसी तरह के तीन EL/W-2090 AWACS के आर्डर दिये गए थे, वहीँ 2015 में भी 6 AWACS के आर्डर दिये गये थे। ये प्रोजेक्ट भारतीय वायुसेना को एक सस्ता और ज्यादा फ्लेक्सिबल एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम AEW &C प्लेटफ़ॉर्म देने के साथ साथ ज्यादा कैपेबल EL/W-2090 AWACS के बैकअप के रूप में काम करने के अलावा DRDO के AEW & C प्रोजेक्ट का लक्ष्य एरियल सर्विलांस प्लेटफ़ॉर्म को डिजाइन और ऑपरेशनलाइज करने की घरेलू क्षमता को विकसित करना था।

अब बात करते हैं AEW & C के डिजाईन की

एक एक्टिव एंटीना एरे यूनिट के फ्यूजलेज के टॉप पर माउंट दो बैक-टू-बैक असेंब्लड रेडियेटिंग प्लानर एरेस एरीये रडार Erieye की तरह 240° का कवरेज प्रदान करेगा। एक एक्टिव एंटीना एरे यूनिट AAAU  में 10 × 2 एंटीना एरे पैनलस्स, 160 ट्रांसमिट रिसीव मल्टी-मॉड्यूल(TRMM) डिवाइडर, बीम फोर्मिंग यूनिट, बीम कंट्रोल यूनिट, पावर सप्लाई यूनिट के साथ साथ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे केबलस्स और कनेक्टर्स को कॉन्फ़िगर किया जाता है। इस भारतीय ट्रांसमिट रिसीव मल्टी-मॉड्यूल TRMM डिजाइन की एक यूनिक फीचर यह है कि इसमें आठ ट्रांस-रिसीव मॉड्यूल को एक साथ कंबाइन और कॉम्पैक्ट करके एक TRMM यूनिट को बनाया गया है, इस प्रकार यह एक्टिव एंटीना एरे यूनिट AAAU 160 यूनिट की हाई डेंसिटी इंस्टालेशन प्रदान करता है जिससे  सर्विलांस रडार को ऑपरेट किया जाता है। 


इसके अलावा इस एयरक्राफ्ट में AWACS और CAEW  यानि कोन्फोर्मल एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम जैसी अन्य मिशन क्षमताएं हैं जैसे कि दुश्मन या दोस्त की पहचान करना, इलेक्ट्रॉनिक & कम्युनिकेशन सपोर्ट फीचर्स, C- बैंड लाइन-ऑफ-साईट और Ku-बैंड SATCOM डेटालिंक्स आदि। प्राइमरी रडार सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण काम है सरफेस सर्विलांस और एरियल सर्विलांस। सेंसर में सर्च, स्कैन के साथ साथ  ट्रैक करने की क्षमता, प्रायोरिटी ट्रैकिंग, हाई परफॉरमेंस ट्रैकिंग जैसी क्षमताएं भी मौजूद हैं।  

प्रायोरिटी ट्रैकिंग में, टारगेट्स को फुल ट्रैक मोड में रखा जाता है भले ही ये प्राइमरी सर्विलांस एरिया को पार कर गये हों। हाई परफॉरमेंस ट्रैकिंग में, ट्रैकिंग की सटीकता में सुधार के लिए एडिशनल मेजरमेंट्स लिये जाते हैं। एक्टिव एपर्चर टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए, रडार एक फ़ास्ट बीम एजाइल सिस्टम प्रदान करता है जो एक साथ कई अलग अलग मोड में काम कर सकता है। AWACS, अन्य AEW & C एयरक्राफ्टस्स, फाइटर जेट्स और ग्राउंड स्टेशनों के साथ कम्युनिकेशन को डेटा-लिंक्स, वोइस और डेटा चैनलों का उपयोग करके सुनिश्चित किया जाता है। एयरक्राफ्ट के केबिन में ऑपरेशनल मिशन टास्कस की आवश्यकताओं को पर्याप्त रूप से पूरा करने के लिए पांच ऑपरेटर वर्क स्टेशन भी हैं। साथ ही एयर टू एयर रिफुएलिंग सिस्टम के ज़रिये इस एयरक्राफ्ट की ऑपरेशनल टाइम को और भी ज्यादा एक्सटेंड किया जा सकता है, एक बार इंधन भरने के बाद यह एयरक्राफ्ट करीब 9 घंटो तक हवा में रह सकता है।

वहीँ A320 बेस्ड AEW & C "नेत्रा Mk2" में अधिक रेंज और बेहतर ट्रैकिंग क्षमताएं होंगी

सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम्स (CABS) A320 प्लेटफॉर्म पर आधारित 6 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AEW & C) डेवेलप करेगी, जो पहले नेशनल कैरियर ऑफ इंडिया ओन करती थी, एयर इंडिया एक स्केल-अप एडवांस्ड वेरिएंट से लैस होगी जिसमें AESA रडार लैस होंगे जो पहले ERJ 145 प्लेटफॉर्म पर आधारित Netra MkAEW &C एयरक्राफ्ट में भी इस्तेमाल किये गए थे।

Netra Mk2 में लैस AESA रडार की स्कैन रेंज और ट्रैकिंग क्षमताएं Netra Mk1 से दोगुनी होंगी। AESA राडार में इनबिल्ट स्कैलाबिलिटी क्षमता है जो इसे अलग अलग प्लेटफॉर्म्स के अनुसार इस्तेमाल करने लायक बनाता है और चूंकि A320, ERJ 145 की तुलना में एक बड़ा प्लेटफार्म है, इसलिए इसके रडार में कहीं ज्यादा ट्रांसमिट और रिसीव मॉड्यूल पैक किये जा सकतें हैं, इसी वजह से स्केल-अप रडार की अतिरिक्त बिजली की आवश्यकता को पूरा करने के लिये A320 के बड़े इंजन ज्यादा पॉवर डीराइव कर सकतें हैं।

एयर इंडिया जल्द ही छह A320/321 एयरक्राफ्टस्स को भारतीय वायु सेना को ट्रान्सफर करने वाली है जिन्हें रिफिटमेंट के लिए यूरोपियन OEM भेजा जायेगा। सेंटर फॉर एयरबोर्न सिस्टम्स (CABS)  ने कहा है कि अगले छह से सात साल के भीतर सभी छह Netra MK2 को भारतीय वायुसेना को सौंप दिया जाएगा। Netra Mk2 भी 240° से ज्यादा का कवरेज प्रदान करेंगे, लेकिन CABS ने इसपर अभी कुछ भी साफ नहीं कहा है, फिर भी उम्मीद है कि Netra Mk2 270° से लेकर 300° तक कवरेज देंगे। दिसंबर 2020 में, भारत की डीफेंस मिनिस्ट्री ने DRDO द्वारा 10,994 करोड़ की लागत से बनाए जाने वाले 6 नए AWACS एयरक्राफ्टस्स के डेवेलपमेंट को फाइनल किया है, जो मॉडिफाइड एयरबस A320 जेट विमानों पर आधारित हैं।

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