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DRDO का फैसला VL-SRSAM मिसाइल का निर्माण करेंगी प्राइवेट सेक्टर की कंपनियाँ | क्या भारत फिरसे 36 नए रफाल फाइटर जेट्स के आर्डर देने वाला है ? | चीन की नौसेना ने इंडो पेसिफिक में यूएस-लेड क्वाड का मुकाबला करने के लिए लिओनिंग कैरियर ग्रुप को तैनात किया

DRDO का फैसला VL-SRSAM मिसाइल का निर्माण करेंगी प्राइवेट सेक्टर की कंपनियाँ

घरेलू डिफेन्स सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए, DRDO ने प्राइवेट सेक्टर फर्म्स को मिसाइल सिस्टम को डेवलप और प्रोड्यूस करने की अनुमति दी है जैसे कि वर्टिकली लौंच्ड सरफेस टू एयर मिसाइल डिफेन्स सिस्टम।

यह प्रयास नरेंद्र मोदी सरकार की मेक इन इंडिया इनिशिएटिव के तहत काम्प्लेक्स मिलिट्री सिस्टम्स विकसित करने में सक्षम होने के लिए प्राइवेट सेक्टर की इंडस्ट्री को तैयार करने की पहल का हिस्सा है।

आल वेदर एयर डिफेन्स मिसाइल सिस्टम को जेट, फाइटर एयरक्राफ्ट और अनमैंड एरियल व्हीकल जैसे एरियल टारगेट्स के खिलाफ पॉइंट एंड एयर डिफेन्स सपोर्ट देने के लिए डेवलप किया जा रहा है।

यह खतरनाक केनिस्टर बेस्ड वेपन सिस्टम हाई किल प्रोबेबिलिटी के साथ टारगेट्स को पहचानने, ट्रैक करने, एंगेज करने और नष्ट करने में सक्षम होगा। इसमें लगभग 40 किमी की स्ट्राइक रेंज है।

DRDO पहले भी टाटा और बाबा कल्याणी इंडस्ट्रीज सहित प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को ATAGS होवित्जर डेवलप करने में मदद कर चुकी है, जो अगले कई दशकों तक भारतीय सेना की मेन आर्टिलरी गन होगी।

क्या भारत फिरसे 36 नए रफाल फाइटर जेट्स के आर्डर देने वाला है ?

फ्रांस 36 और नए राफेल फाइटर जेट्स के लिए भारत पर नए सिरे से दबाव बना रहा है क्योंकि भारत के पहले 36 रफाल आर्डर की डिलीवरी इस साल के एंड तक पूरी होने की उम्मीद है।

अगर 36 रफाल फाइटर जेट्स के आर्डर अभी दिए जातें हैं तो इन फाइटर जेट्स को बनाने के लिए फ्रांस को लगभग तीन साल लगेंगे, यही वजह है फ्रांस इन आर्डर को फाइनलाइज करने के लिए इतनी अर्गेन्सी दिखा रहा है। और अधिक राफेल इंडक्शन के साथ, जो वैरी लॉन्ग मिटियोर मिसाइलों से लैस हैं, IAF की बियोंड विसुअल रेंज -एयर टू एयर मिसाइल एज और अधिक बढ़ जाएगी।

2nd बैच के यह रफाल पहले बैच के 36 रफाल से ज्यादा सस्ते होंगे क्यूकि 13 इंडियन स्पेसिफिक एन्हांसमेंट पहले बैच के रफाल जेट्स में आलरेडी कवर हो चुके हैं, भारतीय वायुसेना 114 विदेशी फाइटर जेट्स को अपनी फ्लीट में शामिल करना चाहती है, लेकिन अभी तक उनकी टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर को लेकर बात साफ नहीं हुई है, यही वजह से की इन 114 फाइटर जेट्स की डील आने वाले भविष्य में जल्द होती नज़र नहीं आ रही है, अब भारत को यह फैसला करना है कि या तो वो पहले बैच के 36 रफाल के ऊपर 36 नए रफाल के आर्डर को क्लियर करे, और 114 विदेशी फाइटर जेट्स के टेंडर को कैंसिल करे।

या फिर 36 नए रफाल के आर्डर के साथ 114 फाइटर जेट्स की आर्डर में से उन फाइटर जेट्स को कम करे जो मेक इन इंडिया इनिशिएटिव के तहत भारत में ही डेवलप किये जाने थे।

चीन की नौसेना ने इंडो पेसिफिक में यूएस-लेड क्वाड का मुकाबला करने के लिए लिओनिंग कैरियर ग्रुप को तैनात किया  

अमेरिकी लेड QUAD के खिलाफ, चीन ने इंडो पेसिफिक में वार्शिप्स को तैनात कर दिया है, PLA नेवी ने एयरक्राफ्ट करियर लिओनिंग के नेतृत्व में एक कैरियर टास्क ग्रुप की तैनाती की है, जिसके साथ लेटेस्ट टाइप 055 डिस्ट्रॉयर को इस इलाके में इस साल पहली बार तैनात किया गया है।

जापानी मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स  ने ओकिनावा और मियाको आइलैंड के बीच इस वीकेंड प्रशांत महासागर की ओर बढ़ते हुए, 5 वार्शिप्स के साथ लियाओनिंग एयरक्राफ्ट करियर को देखे जाने की सूचना दी है।

एयरक्राफ्ट करियर ग्रुप में लीड शिप लिओनिंग के साथ, टाइप 055 क्लास स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर नानचांग, ​​दो टाइप 052D डिस्ट्रॉयर चेंगदू और ताइ-युआन, टाइप 054A फ्रिगेट हुआंग-गांग और टाइप 0101 सप्लाई शिप हुलुहुं शामिल हैं।

इस जॉइंट चीनी मूवमेंट का मुकाबला करने के लिए, जापान ने डिस्ट्रॉयर JS सुजुत्स्की और P-1 मैरीटाइम पैट्रोल एयरक्राफ्ट के साथ-साथ P-3C एंटी-सबमरीन वारफेयर एयरक्राफ्ट "चीनी जहाजों पर निगरानी और जानकारी इकट्ठा करने के लिए" भेजा था।

लियाओनिंग पिछले साल अप्रैल में भी इस जलमार्ग से होकर गुज़रा था। डिफेन्स एक्सपर्ट्स का मानना है की QUAD ग्रुप जिसमें भारत अमेरिका ऑस्ट्रेलिया जापान शामिल हैं, हाल ही में इन्होने हिंद महासागर में बंगाल की खाड़ी में "ला पेरोज़" एक्सरसाइज को अंजाम दिया था, फ्रांस की नौसेना ने भी इसमें हिस्सा लिया था, यही वजह है चीन बार बार इंडो पेसिफिक जलमार्ग मे घुस रहा है।

पिछले हफ्ते, अमेरिकी नौसेना ने ईस्टर्न पेसिफिक इलाके में अपने ऑस्ट्रेलियाई काउंटरपार्ट के साथ दो दिन तक जॉइंट ड्रिल आर्गेनाइज किया था और इस रविवार को अमेरिका नौसेना ने भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के साथ जॉइंट एक्सरसाइज भी किया था जिसके बाद अमेरिकी सुपर- करियर USS थियोडोर रूजवेल्ट ने दक्षिण चीन सागर में प्रवेश किया।

यही वजह है चीन बोखलाया हुआ है, हिमालय मे भारत से मार खाने के बाद, और जिस तरह से अमेरिका उसे आडे हाथों ले रहा है, चीन को समझ नहीं आ रहा की वो इसको कैसे काउंटर करे, महामारी के बाद भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी और QUAD की एग्रेसिव पालिसी का उसके पास कोई जवाब नहीं है

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