भारतीय नौसेना की न्यूक्लियर सबमरीन और एंटी-शिप बैलिस्टिक
मिसाइल चीन के उड़ायेंगे परखच्चे
भारतीय नौसेना ने बजट की कमी की वजह से तीसरे एयरक्राफ्ट
कैरियर की जगह पर छह न्यूक्लियर सबमरीन के डेवलपमेंट को प्रायोरिटी देने का फैसला
किया है, हालाकिं तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की डेवलपमेंट को पूरी तरह से खारिज नहीं
किया गया है। दूसरी ओर चीन तेज़ गति से एयरक्राफ्ट कैरियर को डेवलप कर रहा है, और कम से कम एक एयरक्राफ्ट कैरियर हिंद महासागर
क्षेत्र में बनाएं रखने की स्ट्रेटेजी पर तेज़ी से काम कर रहा है।
दूसरी ओर भारत ने 2000 किमी की रेंज वाली एक मीडियम रेंज लैंड और शिप बेस्ड एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल (ASBM) को डेवलप किया है, और यह छह न्यूक्लियर सबमरीन प्रोग्राम चीन की किसी भी योजनाओं को चुनौती देंगे। भारत पहले से ही 800 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस-ER पर काम कर रहा है, 4.5 मैश की हाइपरसोनिक स्पीड वाली यह ब्रह्मोस हिंद महासागर क्षेत्र में दुश्मन की किसी भी एयरक्राफ्ट कैरियर को डुबाने के लिए काफी होगी, लेकिन एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल (ASBM) की डेवलपमेंट, भारत को एक डेडिकेटेड एयरक्राफ्ट कैरियर किलिंग की क्षमता प्रदान करेगी।
प्रोजेक्ट-18 के तहत भारत बना रहा है मेगा-वारशिप जो चीनी
नेवी को देंगे कड़ी टक्कर
लगभग 4 साल पहले, चीन ने 12,000-टन का अपना पहला टाइप 055 नवल डिस्ट्रॉयर वारशिप
लॉन्च किया था, जो कि इस ग्रह पर सबसे बड़ा और सबसे हैवीली आर्म्ड वारशिप है, जिसने भारत के लेटेस्ट
प्रोजेक्ट-15B "विशाखापत्तनम" क्लास डिस्ट्रॉयर को बहुत
पिछे छोड़ दिया है जिसमें सिर्फ 8200 टन डिस्प्लेसमेंट कैपेसिटी है। वहीँ चीन 18
टाइप 055 वारशिप बनानें की प्लानिंग कर रहा है जो उसको भारत के खिलाफ एक्सपेक्टेड
फायरपॉवर देगा।
भारतीय नौसेना आखिरकार इस खतरे को
गंभीरता से ले रही है और अब इस मेगा वारशिप को टक्कर देने के लिए प्रोजेक्ट-18 के
तहत 13000 की स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर बनाने की प्लानिंग में है जिसकी लागत
लगभग 50000 करोड़ रुपये है।
चीनी टाइप 055 वारशिप का मुकाबला
करने के लिए भारतीय डिस्ट्रॉयर में इलेक्ट्रो मैगगनेटिक रेलगन और शिप-माउंटेड लेजर
अटैच किये जायेंगे जो कन्वेंशनल क्लोज-इन वेपन सिस्टम को रिप्लेस करेंगे जो दो
महत्वपूर्ण नेक्स्ट जनरेशन के वेपन सिस्टम होंगे।
विशाल आकार के प्रोजेक्ट-18 क्लास
के वारशिप इसे भारत के सी-बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस शील्ड के लिए सबसे बेहतर
कैंडीडेट बनातें हैं जो भारत को शोर्ट टू इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल के
खिलाफ एज देंगे, जिसके लिए काफी फंडिंग की जरुरत होगी।
लेकिन सी-बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइल
डिफेंस शील्ड के एलीमेंट्स को वारशिप में लेटर स्टेजेज़ में भी जोड़ा जा सकता है, फ़िलहाल
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि पहले कुछ वारशिप का निर्माण करके नेवी को दी जाये इससे
पहले की चीन इस रेस में भारत को पीछे छोड़ आगे निकल जाये।
अदानी डिफेन्स सिस्टम्स ने भारत
सरकार को एंटी ड्रोन सिस्टम किया डेमोंस्ट्रेट
मिनिस्ट्री ऑफ़ सिविल एविएशन से
एक्सेम्पसन मिलने के बाद अदानी डिफेन्स सिस्टम्स ने अपने एंटी ड्रोन सिस्टम को
किया डेमोंस्ट्रेट, अडानी ग्रुप ने प्रदर्शन के लिए ड्रोन मॉडल ऑपरेट करने के लिए Z-Axis Unmanned Machines Pvt Ltd के साथ एंगेज किया, यह प्रदर्शन हवाई अड्डों पर काउंटर-ड्रोन सिस्टम इंस्टाल
करने की सरकार की योजना का हिस्सा है, ताकि एयरपोर्ट किसी भी मानव रहित एरियल व्हीकल से निपटने के लिए तैयार रहें।
सिविल एविएशन मिनिस्ट्री से इस तरह के सिस्टम्स के प्रदर्शन के लिए और अधिक कंपनियों को आमंत्रित करने की उम्मीद है।इंटरेस्टेड खिलाड़ियों में सागर डिफेंस, आइडियाफॉर जैसी कंपनियां शामिल है।