LCA
तेजस की सूटेबलिटी का आकलन करने के लिए मलेशियाई वायु सेना की टीम भारत आ रही है
भारत अपनी स्क्वाड्रन की ताकत को बढ़ाने की कोशिश कर रह है
यही वजह कि भारतीय वायु सेना ने हाल ही में बड़ी संख्या में भारत के घरेलू तेजस फाइटर
जेट्स का आर्डर दिया था।
एलसीए फाइटर जेट्स की प्रोडक्शन फैसिलिटीस का दौरा करने के
लिए मलेशियाई टीम दो महीने के भीतर बेंगलुरु का दौरा करेगी। मलेशियाई टीम को टेस्ट
इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक्सेस दिया जायेगा और फाइटर जेट की कॉम्बैट केपेबिलिटीस का
डेमोंसट्रेसन भी दिया जाएगा।
भारत LCA
तेजस के MK1 A वर्ज़न को पेश कर रहा है जिसमें आधुनिक AESA रडार, नए एवियोनिक्स शामिल हैं और साथ ही मलेशियाई वायु
सेना की विभिन्न प्रकार के हथियारों को इंटीग्रेट करने की केपेबिलिटी भी इसमें है।
मलेशिया कुल 12 ऐसे फाइटर जेट्स का ऑर्डर दे सकता है, साथ
ही भविष्य में 24 और
लड़ाकू विमानों के संभावित आर्डर दिए जानें की भी उम्मीद है।
लेकिन सवाल यह है की आखिर मलेशिया ने LCA तेजस को ही क्यों सेलेक्ट किया ?
अन्य देशों के फाइटर जेट्स मलेशियाई सेना को संतुष्ट नहीं कर पाये, मलेशिया
ने कम लागत और आधुनिक लड़ाकू क्षमताओं के दम पर LCA तेजस
को अपने 36 नए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के कॉन्ट्रैक्ट के लिए टॉप कन्टेंडर के रूप
में चुना है। डिफेन्स एक्सपर्ट्स इसे भारत के स्वदेशी फाइटर जेट की पहली संभावित
बिक्री के रूप में देख रहे हैं।
भारतीय फाइटर जेट्स का एक और बड़ा फायदा हथियारों के इंटीग्रेसन
में आसानी है - तेजस को रूसी और पश्चिमी हथियारों के साथ इंटीग्रेट किया जा सकता
है, जो
मलेशियाई वायु सेना के लिए एक वरदान साबित हो सकता है जो दोनों ब्लाकों के जेट को ऑपरेट
करते हैं।
स्वीडिश ग्रिपेन जेट्स महंगे साबित हुए हैं, और
पाकिस्तान के चीनी मूल के JF-17
की केपेबिलिटीस में कथित तौर पर तेजस की तुलना में कमी पाई गई है, जबकि
एक अन्य दावेदार, दक्षिण कोरियाई
टी-50 फाइटर जेट्स तेजस के आगे कहीं नहीं टिकते।
तिब्बत के लिए चीन की हाई-स्पीड ट्रेन लिंक भारत के लिए
क्यों है बुरी खबर ?
ऐसे समय में जब भारत ने अमेरिकी लेड QUAD ब्लॉक
के ज़रिये चीन का मुकाबला करने का मन बना लिया है वहीँ दूसरी ओर बीजिंग ने अरुणाचल
प्रदेश के पास भारतीय सीमा के करीब बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी कर ली है।
तिब्बत की राजधानी ल्हासा के लिए यह हाई-स्पीड रेलवे लिंक
इस साल जुलाई तक चालू हो जाएगा, इसके अलावा, चीन
इंडिपेंडेंट स्टेट तिब्बत से दक्षिण एशिया यानि भारत
के पड़ोस तक "पैसेज-वे" की योजना भी बना रहा है।
इससे पहले, ऐसी खबरें थीं कि चीन नेपाल में काठमांडू और तिब्बत
में शिगात्से को उसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के हिस्से के रूप में
जोड़ने वाले ट्रांस-हिमालयन मल्टी-डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क की योजना बना रहा
था। इस कदम का मकसद नेपाल के लिए व्यापार और पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाना और
भारत पर उसकी निर्भरता को कम करना है।
अगर साउथ एशिया पैसेज-वे से चीन का यही मतलब है, तो
उससे भारतीय पालिसी मेकर्स के बीच खतरे की घंटी बजानी चाहिए। चीन वैसे भी अपनी
भारी इन्वेस्टमेंट्स की वजह से छोटे हिमालयन नेशनस्स में ज्यादा इन्फ्लुएंस पैदा
करता है जैसे नेपाल, चीन ने 2014 में ही भारत को सबसे बड़े फॉरेन इन्वेस्टर के रूप
में पछाड़ दिया था। पिछले साल इन इलाकों में लगभग 90% एफडीआई चीन से आई हैं और
बीजिंग ने अक्टूबर 2019 में नेपाल को भी 500 मिलियन डॉलर की सहायता का वादा किया
था।
साथ ही चीन ने नेपाल के साथ बुनियादी ढांचे और हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट्स में भी भारी निवेश किया है, वहीँ दूसरी और भारत सिर्फ बॉर्डर रोड डेवलपमेंट, पुल और कुछ सुरंगों तक ही सीमित है। जिसपर भारत को ध्यान देने की जरुरत है अगर उसको चीन का मुकाबला करना है।
आईएनएस विक्रांत को जल्द मिलेगी लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल कवर
भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत
को जल्द ही लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (LRSAM) एयर डिफेन्स कवर
मिलेगा क्यूकि नौसेना जल्दी ही मिसाइल सिस्टम को विक्रांत में इंटीग्रेट करने का
काम शुरू करने वाली है।
LRSAM इजराइल
एरोस्पेस इंडस्ट्रीज और
DRDO की जॉइंट डेवलपमेंट है, जिसमें 70 किलोमीटर से भी ज्यादा स्ट्राइक रेंज है और
यह हवा, समुद्र, या जमीन से आने वाले खतरों के खिलाफ एयर डिफेन्स
प्रदान करता है। आईएनएस विक्रांत को डीआरडीओ द्वारा डेवलप किये जा रहे वर्टिकली लौंच्ड
शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (VL-SRSAM) कवर भी मिलने वाला है, जो LRSAM मिसाइल सिस्टम
को कॉम्प्लीमेंट करेंगे, ये दोनों एयरक्राफ्ट करियर को एरियल थ्रेट्स से प्रोटेक्ट
करेंगे।
VL-SRSAM की 40 किमी की रेंज है
और यह भी खबर है की डीआरडीओ भारतीय नौसेना के लिए एक्सटेंडेड LRSAM मिसाइल पर भी काम कर रही
है, जिसमें एडिशनल बूस्टर स्टेज फीचर होगी जो इसे 150 किमी से
भी ज्यादा दूर मौजूद एरियल टारगेट्स को मार गिराने की कैपेबिलिटी भी देगा।
INS विक्रांत ने पिछले साल बेसिन ट्रायल्स
को सक्सेसफुली क्लियर किया था साथ ही नौसेना जल्द ही सी ट्रायल्स शुरू करने वाली
है। बेसिन ट्रायल्स में, गैस टर्बाइन, मेंन इंजन, और आठ डीजल आल्टरनेटरों वाले पावर
जनरेशन सिस्टम को पहली बार फायर किया दिया गया जिसमें प्रोपल्शन, ट्रांसमिशन और शाफ्टिंग सिस्टम को टेस्ट किया गया था।