DRDO XRSAM एयर डिफेंस सिस्टम के लिए मोबाइल मास्ट सिस्टम को कर रहा है डेवलप जो चीन से लगी सीमा को करेंगे सिक्योर
DRDO ने एक ट्रक बेस्ड मोबाइल मास्ट सिस्टम बनाने की तैयारी शुरू
कर दी है जिसमें एक ऊंचा एलिवेटेड रडार एंटीना अटैच्ड होगा जो कि XRSAM यानि eXtra Long
Range Surface to Air Missile एयर डिफेंस वेपन
सिस्टम का हिस्सा होगा। स्किड बेस्ड टेलीस्कोपिक मास्ट सिस्टम एक्सटेंड करने पर 30
मीटर लंबा होगा और यह 530kg पेलोड के साथ लगभग 27.5 टन वजन का होना चाहिए।
बेस पिलर पर 5 मीटर रिफ्लेक्टर एंटीना या डिश एंटीना लगाया
जाएगा। मोबाइल मास्ट सिस्टम एक रिजिड बेस सपोर्ट फ्रेम
सिस्टम का इस्तेमाल करेगा,
जो ऊँचे एलिवेटेड
मास्ट पर लगा होगा। रडार एंटीना को एक मास्ट का उपयोग करके ऊपर उठाने से कम ऊंचाई
के टारगेट के खिलाफ इसकी रेंज में इजाफा होगा, यह ज्यादा दूरी पर उड़ रहे फ्लाइंग
टारगेट्स को भी डिटेक्ट करने में भी बेहद कारगर होगा।
मोबाइल मास्ट सिस्टम में कम ऊंचाई वाले एक्वीज़िसन
राडार लगाये जायेंगे जो पहाड़ी इलाकों में या घनी जंगली इलाकों में काफी इफेक्टिव
होंगे जहां सिस्टम को ट्रीटॉप्स से परे देखने की जरूरत पड़ती है।
डीआरडीओ इस तरह के काम्प्लेक्स हाई पेलोड मास्ट सिस्टम में इन्वेस्ट कर रहा है, यह देखते हुए कि यह इस तरह के जटिल इलाके में तैनाती के लिए सूटेबल होगा, और यह हर तरह के मौसम और क्लायीमेटिक कंडीशनस्स में भी बेहद कारगर साबित होगा।
XRSAM एयर डिफेंस सिस्टम को देश के पूर्वी और पश्चिमी
दोनों सीमाओं में तैनात करने की आवश्यकता होगी। जहाँ पश्चिमी सीमा में बड़े पैमाने
पर फ्लैट टेरेन समतल भूभाग है, वहीँ दूसरी तरफ पूर्वी सीमा के हिमालयन
रेंज में बेहद डाइवर्स जियोग्राफी है, ऐसे में मोबाइल मास्ट सिस्टम के अपने फायदे हो सकते हैं।
भारतीय नौसेना के इल्युशिन il-38 पट्रोल
एयरक्राफ्ट
से लाइटवेट टारपीडो टेस्ट
हुआ सफल
नवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (NSTL) द्वारा डेवलप स्वदेशी
एडवांस्ड लाइट टॉरपीडो ने सोमवार को भारतीय नौसेना के Ilyushin Il-38 समुद्री पेट्रोल
एयरक्राफ्ट से पैराशूट के साथ अपनी पहली उड़ान को सक्सेसफुली क्लियर किया।
यह देश का पहला ऐसा ट्रायल था जिसमें स्वदेशी लाइट
टारपीडो को एक फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट से फायर किया गया था। लाइट टारपीडो को एक
दशक पहले सर्विस में शामिल करने के लिए डिजाइन, डेवलप, और प्रोड्यूस किया गया था,
इन्हें एंटी सबमरीन वारफेयर के हिस्से के रूप में अंडरवाटर प्लेटफार्मों के खिलाफ इस्तेमाल
किया जाता है। टारगेट की रेंज को बढ़ाने के लिए, नौसेना ने अपने फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट से टाइट टारपीडो को लांच करने का फैसला
लिया ताकि चुने हुए लोकेशनस्स पर सटीक हमलो को अंजाम दिया जा सके।
लाइट टारपीडो में टारपीडो रिलीज़ मैकेनिज्म और फायर कण्ट्रोल सिस्टम को नवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी ने डिजाईन किया है, एयरक्राफ्ट से सेफ सेपरेसन के बाद टारपीडो, पैराशूट की मदद से नीचे उतरता है जिसके बाद टारपीडो रिलीज़ मैकेनिज्म पैराशूट को हटा देता है, जिससे टारपीडो पानी में हमले को अंजाम दे पाता है। लाइट टारपीडो एडवांस्ड प्रोसेसर सिग्नल प्रोसेसिंग एल्गोरिदम का उपयोग करके एक साथ कई टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है।
भारतीय नौसेना के पायलट
अमेरिका में MH-60R
सीहॉक हेलीकाप्टर की जल्द शुरू करेंगे ट्रेनिंग
जल्द ही भारतीय नौसेना के पायलटों और ग्राउंड
स्टाफ की एक टीम अमेरिका में नए हेलीकॉप्टरों की ट्रेनिंग के लिए रवाना होगी, MH-60R हेलीकाप्टर इस साल के अंत में नौसेना को मिलने की उम्मीद
है। भारतीय नौसेना को इस साल के अंत में अमेरिकी सिकोरस्की-लॉकहीड मार्टिन से MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर का पहला
बैच मिलने की उम्मीद है।
पायलटों और ग्राउंड क्रू की संख्या अभी तय नहीं
की गई है। ट्रेनिंग पिछले साल ही शुरू होनी थी हालांकि, महामारी और बाद में लॉकडाउन
की वजह से इसमें देरी हुई।
MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर भारत कब आ रहे हैं?
24 में से पहले तीन MH-60R सीहॉक हेलीकाप्टर
को जून से सितंबर, 2021 के बीच डिलीवर
किए जाने की उम्मीद है। इन्हें अमेरिका में भारतीय दूतावास को सौंप दिया जाएगा और किस
तरह इन्हें पायलटों की ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया जाये, उसे वर्कआउट किया जा
रहा है। इनमें से कुछ हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल भारत डिलीवर किये जाने से पहले ट्रेनिंग
के लिए किया जाएगा।
भारतीय नौसेना जो पहले से ही P8-I एयरक्राफ्ट को ऑपरेट कर रही है, सी गार्जियन
ड्रोन और अब MH-60R सीहॉक हेलीकाप्टर
मिलने के बाद, भारतीय नौसेना की सबमरीन हंटिंग को पहले से भी ज्यादा ताक़त मिलेगी
जिससे बच पाना दुश्मन के लिए आसान नहीं होगा।