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पृथ्वी पर तब ख़त्म हो जायेगा जीवन | पृथ्वी का अंत कैसे होगा | ब्रह्माण्ड कब और कैसे ख़त्म होगा ?

 हम आप जो भी चीज़ देख रहे हैं, उसका अतीत बन जाना तय है, पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व भी इसमें शामिल है, एक दिन ये भी अतीत बन जाएगा, लेकिन कब?

जीवन पृथ्वी पर केवल इसलिए मौजूद है क्योंकि यह एक नाजुक और वास्तव में एक डेलिकेट बैलेंस की देंन है। पृथ्वी का वातावरण, सूरज से बैलेंस्ड दूरी, और अनगिनत अन्य सुंदर संयोग जिन्दा रहने और पनपने की अनुमति देते हैं।

मगर सभी अच्छी चीजों का कभी ना कभी अंत होता है।

आपको भले यकीन ना हो, लेकिन जीवाश्मों के स्टडी के मुताबिक पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को करीब 3.5 अरब साल हो चुके हैं, इतने समय में पृथ्वी ने कई तरह की आपदाएँ झेली हैं - जम जाना या अंतरिक्ष की चट्टानों का टकराना, जला कर सब कुछ राख कर देने वाली रेडिएशन जैसी अनहोनी भी पृथ्वी झेल चुकी है।

लेकिन क्या ऐसा आने वाले भविष्य में फिरसे हो सकता है? कब तक रहेगा पृथ्वी पर जीवन?

हम जानते हैं कि पृथ्वी पर एक दिन जीवन का अंत हो जायेगा, यह जिंदगी को सपोर्ट करने लायक नहीं रहेगी, जैसे की यह आज करती है। इस ग्रह पर जीवन का अंत आज से अरबों वर्षों के बाद होगा। लेकिन, सितारों और अंतरिक्ष के अध्यन के आधार पर - कुछ मामलों में - यह कल भी या कभी भी हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि कई तरीके हैं जो किसी भी समय मिनटों में पृथ्वी से जीवन का अंत कर देंगे।

1)     जब पृथ्वी का पिघला हुआ कोर ठंडा हो जायेगा।

पृथ्वी एक प्रोटेक्टिव मैग्नेटिक शील्ड यानि चुंबकीय ढाल से घिरी हुई है, जिसे मैग्नेटोस्फेयर कहा जाता है। यह फील्ड पृथ्वी के रोटेशन घुमने से पैदा होती है, जो तरल लोहे और निकल के एक मोटे घोल को मेटल की एक ठोस गेंद के चारों घुमाता है, जिससे एक विशाल इलेक्ट्रिक डायनेमो बनता है। मैग्नेटोस्फेयर सूरज से निकलती भयंकर किरणों को डिफ्लेक्ट करती है, सूरज की इन किरणों से हिट होने से मैग्नेटोस्फीयर की शेप और साइज़ बदलती रहती है। सूरज की इन किरणों  की पृथ्वी की वातावरण से टकराने की वजह से सुंदर अरोराओं का भी निर्माण होता है, पृथ्वी की दोनों ध्रुवों पर इन्हें साफ साफ देखा जा सकता है। अगर कभी जब यह कोर ठंडा हो जायेगा, तो यह मैग्नेटिक डायनेमो भी बंद हो जायेगा और हम अपने मैग्नेटोस्फेयर को भी खो देंगे - साथ ही सोलर विंड्स से सुरक्षा भी खत्म हो जाएगी। और तब पृथ्वी का वातावरण भी नष्ट होकर अंतरिक्ष में समा जायेगा।

मंगल कभी पानी से भरपूर हुआ करता था और इसका अपना घना वातावरण भी था लेकिन दुर्भाग्य से अरबों साल पहले इसी तरह की एक घटना ने, मंगल को लगभग वायुहीन एयरलेस, बेजान बना दिया जैसा आज हम जानते हैं।

2)     जब सूरज अपने अंत की तरफ बढेगा और एक्स्पैंड होने लगेगा।

सूर्य और इसके हमारी दूरी, शायद हमारे अस्तित्व का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन सूरज भी एक तारा है। और सभी तारों का कभी ना कभी अंत होता है। यह हमेशा ऐसा नहीं रहेगा जैसा की यह आज है। अब से अरबों साल बाद सूरज बहुत कम हाइड्रोजन पर चल रहा होगा और तब यह हाइड्रोजन की जगह हीलियम को फ्यूज करना शुरू कर देगा। यह और भी ज्यादा एनेर्ज़ेटिक प्रोसेस है, ऐसे में सूरज अपनी परतों को बाहर की ओर धकेल देगा, और शायद सूर्य पृथ्वी को अपनी ओर खींचना शुरू कर देगा। हम सभी जलकर राख हो जायेंगे और भांप बनकर ब्रह्माण्ड में समा जायेंगे।

और ऐसा भी हो सकता है कि सूर्य का विस्तार पृथ्वी को अपनी ऑर्बिट से बाहर धकेल दे। और तब पृथ्वी एक अनजान जमे हुए ग्रह की तरह ब्रह्माण्ड में अनन्तकाल तक भटकटी रहे।

3)     अनजान भटकते ग्रह के टक्कर से पृथ्वी से खत्म हो जायेगा जीवन

अंतरिक्ष बेहद निर्मम है कठोर है। ग्रहों और सौर मंडल के निर्माण के दौरान ग्रह अक्सर अपने सौर मंडल से बाहर धकेल दिए जाते हैं। हाल के अध्यन सिमुलेशन के अनुसार, वास्तव में, भटकते अनजान ग्रहों की संख्या मिल्की वे में सितारों की संख्या से एक लाख गुना ज्यादा हो सकती है।

ऐसा कोई अनजान भटकता ग्रह कभी भी हमारी सौर मंडल में आकर तबाही मचा सकता है, पृथ्वी को उसकी ऑर्बिट से धकेल कर एक्सट्रीम और इनहोस्पिटेबल ऑर्बिट में डाल सकता है, या यहां तक ​​कि हमें सौर मंडल से बाहर भी धकेल सकता है। या हमारे किसी नजदीकी ग्रह जैसे मर्करी या वीनस से टकराने का कारण भी बन सकता है।

अगर ऐसा हुआ, पृथ्वी एक बर्फ की गेंद में जम जाएगी। ऐसे में पृथ्वी को अकल्पनीय ठंड और चिलचिलाती गर्मी के बीच भड़कने का कारण बना सकता है।

ऐसा भी हो सकता है कि पृथ्वी के पास से गुजरने और उसकी ऑर्बिट को डिसरप्ट करने के बजाय, भटकते हुए अनजान ग्रह की पृथ्वी से सीधे टक्कर हो जाये। अगर ऐसा हुआ भी तो यह अभूतपूर्व नहीं होगा, ऐसा पहले भी होता रहा है। लगभग 4.5 अरब साल पहले, सौर मंडल में ऐसा ही एक अनजान ग्रह हमारे सौर मंडल के एक बड़े ग्रह से टकराया था जिससे पृथ्वी और उसके चंद्रमा का निर्माण हुआ था। एक नए रिसर्च खोज से पता चलता है कि दो ग्रह आपस में टकराकर पूरी तरह से गैसीय और तरल चट्टान के तेजी से घूमने वाले डोनट में वेपोराइज्ड हो गए। ऐसा हमारी पृथ्वी के साथ भी हो सकता है।

4)     एस्टेरोइड और कोमेट्स के टकराने से भी पृथ्वी से जिंदगी का हो सकता है खात्मा

हॉलीवुड को एस्टेरोइड से बहुत प्यार है। अंतरिक्ष में भटकती चट्टानें बहुत विनाशकारी हो सकती हैं – एक ऐसे ही बडे टक्कर ने शायद पृथ्वी से डायनासोरों का खात्मा किया था - हालांकि पूरे ग्रह से जीवन का खात्मा करने के लिये बहुत सारे एस्टेरोइड की जरुरत होगी।

फिर भी, ऐसा हो सकता है। लाखों वर्ष पहले पृथ्वी के निर्माण के बाद इस तरह के सैकड़ों कोमेट्स की भारी बमबारी पृथ्वी पर हुई थी। यह टक्कर इतने खतरनाक थे कि पृथ्वी पर मौजूद महासागर पूरे एक साल तक उबलते रहे थे। उस वक़्त पृथ्वी पर सिर्फ सिंगल सेल लाइफ फॉर्म ही मौजूद थी, जो इस टक्कर के बाद भी बचे रहे, लेकिन पृथ्वी पर मौजूद आज की जिंदगी इस टक्कर को झेल नहीं पायेगी, हवा का तापमान कई हफ्तों तक 900 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक तक पहुंच जायेगा, अगर हमें एक ऐसे ही टक्कर का सामना करना पड़ा। और ऐसे में पृथ्वी पर जिंदगी का बचा रहना नामुमकिन होगा।

5)     अगर एक भटकता हुआ ब्लैक होल पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरे।

पृथ्वी के अंत के लिए ब्लैक होल्स हॉलीवुड का दूसरा पसंदीदा टॉपिक हो सकते हैं। यह सोचना आसान भी है क्यूकि वे उतने ही रहस्यमयी हैं जितना कि वे भयावह हैं। यहां तक ​​कि इनका नाम भी बेहद खतरनाक है अशुभ है।

हम उनके बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि वे इतने घने हैं कि लाइट भी ब्लैक होल के इवेंट होराइजन से नहीं निकल सकता। वैज्ञानिकों को लगता है कि "रिकोयल्ड" ब्लैक होल भटकते ग्रहों की तरह अंतरिक्ष में भटक रहे हैं। ऐसा एक ब्लैक होल हमारी सौर मंडल से भी गुजर सकता है। और ऐसा हो जायेगा तो यह बिलकुल भी अजोबोगरीब घटना नहीं होगी।

एक छोटा ब्लैक होल बिना नुकसान पहुचाये पृथ्वी से गुजर सकता है, हालांकि अगर यह चंद्रमा के मास से कुछ बड़ा हुआ या रेत के एक दाने का आकार का ब्लैक होल भी - बड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।

अगर ब्लैक होल से लाइट भी नहीं बच सकती, तो पृथ्वी निश्चित रूप से नहीं बच पाएगी। एक बड़े ब्लैक होल को देखते हुए, पॉइंट ऑफ़ नो रिटर्न के बाद क्या हो सकता है, इसके बारे में दो विचार हैं।

पहला इवेंट होराइजन से परे, एटम तब तक खिंच सकते हैं जब तक वे पूरी तरह से अलग न हो जाएं, इसे स्पघेटिफिकेशन या नूडल इफ़ेक्ट कहतें हैं।

दूसरा थ्योरी यह है कि ऐसे में हम ब्रह्माण्ड के अंत की तरफ बढेंगे या कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि हम इवेंट होराइजन के ज़रिये वार्म होल से होते हुए किसी और ब्रह्माण्ड में प्रवेश करेंगे।

अगर एक रिकोयल्ड ब्लैक होल पृथ्वी से टकराए बिना भी करीब से निकल जाता है, तब भी यह पृथ्वी पर भूकंप और अन्य तबाही का कारण बन सकता है, हमें सौर मंडल से बाहर धकेल सकता है, या हमें धकेल के सूरज में ही समा सकता है।

6)     गामा किरणों का विस्फोट

गामा रे बर्स्ट, या GRB, ब्रह्मांड की सबसे शक्तिशाली घटनाओं में से एक हैं। जब एक तारा मरता है तब इस तरह के गामा रे बर्स्ट होते हैं। एक छोटा विस्फोट हमारे सूरज की जीवनकाल के दौरान एमिट किये जाने वाली एनर्जी की तुलना में कही ज्यादा एनर्जी का विस्फोट कर सकता है।

यह हाई एनर्जी ओजोन परत को नष्ट कर देगी, ऐसे में पृथ्वी पर खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों का बाढ़ आ जायेगा जो पृथ्वी पर रैपिड ग्लोबल कूलिंग को ट्रिगर कर देगी।

वास्तव में, इसी तरह का गामा रे बर्स्ट 440 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी के पहले मास एक्सटिंक्सन का कारण हो सकता है।

7)     वांडरिंग स्टार्स से भी पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो सकता है

ऐसा अगले एक लाख सालों में संभव हो सकता है

अरबों साल से हमारे ग्रह सोलर सिस्टम में सूर्य के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहें हैं। लेकिन अगर कोई तारा हमारे सौर मंडल के नज़दीक आ जाए तो क्या होगा ? न्यूयार्क की रॉचेस्टर यूनिवर्सिटी के एरिक मामेजक के नेतृत्व में फ़रवरी, 2015 में हुए रिसर्च में बताया गया है कि ऐसा संभव है और ये भी कहा गया है कि ये जल्द ही हो सकता है।

जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी के कोरयान बेलर जोंस ने ऐसे ही दो तारों को पॉइंट आउट किया है। HIP85605 हमारे इतने पड़ोस में है कि वो 2.4 लाख साल से लेकर 4.7 लाख साल के बीच में पृथ्वी के करीब पहुंच सकता है। GL710 के भी 13 लाख सालों में पृथ्वी के करीब पहुंचने की आशंका है।

मामेजक के मुताबिक GL710 बड़ा तारा है और HIP85605 भी । तो क्या इनसे पृथ्वी के जीवन को ख़तरा होगा ?

ऐसे तारे सौरमंडल के अंदर आने पर खतरनाक साबित हो सकते हैं, लेकिन इसकी आशंका बेहद कम है, बेलर जोंस के मुताबिक, "किसी बाहरी तारे के पृथ्वी के सोलर सिस्टम में पहुंचने की संभावना नहीं के बराबर है।

8)     ब्रह्मांड अपने अंतिम "बिग रिप" में टुकडे टुकडे हो जायेगा।

यह वह चीज है जो वास्तव में पृथ्वी को ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड को समाप्त कर सकती है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि एक रहस्यमय फ़ोर्स जिसे डार्क एनर्जी कहा जाता है, ब्रह्मांड को बहुत तेज गति से फैला रही है।

अगर ब्रह्मांड ऐसे ही फैलता रहा तो अब से 22 अरब साल बाद एटमस्स को एक साथ रखने वाला फ़ोर्स फ़ैल हो जाएगा - और ब्रह्मांड के सभी पदार्थ रेडिएशन में विलीन हो जाएंगे।

लेकिन अगर "बिग रिप" को एक कल्पना भी मान लिया जाये है, तो भी ग्लोबल क्लामिटी वैश्विक आपदा से इंकार नहीं किया जा सकता, क्या इन्सान ऐसे हादसे के बाद भी बच पायेगा ?

यह संभव है कि कुछ माइक्रोब्स और फंगस बचे रह जायें और पृथ्वी पर और भी ज्यादा काम्प्लेक्स लाइफ की शुरुवात करें।

लेकिन अगर हमारा विनाश पूरी तरह से होना लिखा है, तो हम सिर्फ उम्मीद कर सकते हैं कि हमारे जैसी इंटेलिगेंट लाइफ ब्रह्माण्ड में कहीं और मौजूद होगी, जो हमारे अंत का भुगतान करने लायक होगी।

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