क्या हम एक ब्लैक होल में रह रहे हैं ?
क्या हमारा ब्रह्मांड एक
विशाल ब्लैक होल है ?
चलो घड़ी को उल्टा करते हैं और समय में पीछे
जाते हैं। इससे पहले कि मनुष्य अस्तित्व में आया, इससे पहले कि
पृथ्वी बनी, इससे पहले कि सूर्य ने चमकना शुरू किया, इससे पहले कि आकाशगंगाएँ बनीं, इससे पहले जब प्रकाश का भी अस्तित्व नहीं था, यानि समय में उस वक़्त तक पीछे चलते हैं जब बिग
बैंग हुआ था। यह 13.8 बिलियन साल पहले हुआ था।
लेकिन बिग बैंग से पहले क्या ? कई साइंटिस्ट्स
का कहना है कि इससे पहले कुछ भी नहीं था। बिग बैंग के साथ ही समय का क्लिक करना
शुरू हो गया, बिग बैंग के समय और उसके तुरंत बाद की स्तिथि को पहले से
विचार करना विज्ञान के दायरे में नहीं है। हम यह कभी नहीं समझ पाएंगे कि बिग बैंग
के पहले क्या था, या यह किससे बनी थी, या हमारे
ब्रह्मांड को बनाने के लिए क्यों विस्फोट हुआ। यह सब इंसानी समझ से परे है।
लेकिन कुछ वैज्ञानिक इस थ्योरी से असहमत हैं। इनका मानना है कि बिग बैंग से एक क्षण पहले, नवजात ब्रह्मांड की मास और एनर्जी एक कॉम्पैक्ट डेंस स्टेट में एक पॉइंट में मौजूद थे, इसे एक नए ब्रह्मांड का बीज कहते हैं।
ऐसा माना जाता है कि यह बीज हमारी कल्पना से भी
छोटा था, इंसानों द्वारा निरीक्षण किये गये किसी भी पार्टिकल
से खरबों टाइम छोटा। लेकिन फिर भी यह एक ऐसा पार्टिकल है, कण है जो हर दूसरे कण को
पैदा कर सकता है, हर आकाशगंगा, सौर मंडल, ग्रह और यहाँ तक
की इंसानों को भी। इसे हम गॉड पार्टिकल कह सकते हैं।
यह सीड, गॉड पार्टिकल
कैसे अस्तित्व में आया ?
एक थ्योरी, जो कई सालों से ठंडे बसते
में दफ़न है, वो है न्यू हेवन यूनिवर्सिटी के फिजिशियन निकोडेम पोपलावस्की की थ्योरी, उनका
मानना है कि हमारे ब्रह्मांड का निर्माण प्रकृति के सबसे सबसे एक्सट्रीम कंडीशन
चरम वातावरण एक ब्लैक होल के अंदर हुआ।
एक विचार यह है कि एक
ब्रह्मांड का बीज एक पौधे के बीज के समान है, जिसमें एक पेड़ की आवश्यक
सामग्री का हर एक हिस्सा, एक कॉम्पैक्ट
सुरक्षित छोटे बीज के अन्दर छिपा होता है।
एक ब्लैक होल के अंदर
क्या बनता है ? ब्लैक होल विशालकाय सितारों की डेड बॉडीज हैं। जब एक तारे
का ईंधन खत्म होता है, तो इसका मास अंदर की ओर ढहनें लगता है।
गुरुत्वाकर्षण हर चीज को तेजी से अपने अन्दर खींच लेता है। तापमान 100 बिलियन
डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। एटम्स और इलेक्ट्रॉन्स टूट जातें हैं। यह टूटे
हुए छोटे कण और भी छोटे कणों में टूट जातें हैं।
और आखिर में एक तारा ब्लैक होल में बदल जाता है, जिसका मतलब है कि इसकी गुरुत्वाकर्षण खिंचाव इतना ज्यादा हो जाता है कि प्रकाश भी इसमें से पास नहीं कर सकता। एक ब्लैक होल के इंटीरियर और एक्स्टीरियर के बीच की बाउंड्री को इवेंट होराइजन कहतें हैं। कुछ विशाल ब्लैक होल सूर्य की तुलना में लाख गुना अधिक विशाल हैं, जिन्हें हमारी आकाशगंगा सहित लगभग हर आकाशगंगा के केंद्र में खोजा गया है।
अगर आप ब्लैक होल के तल पर क्या होता है, यह जानने
के लिए आइंस्टीन के सिद्धांतों का इस्तेमाल करते हैं, तो आप एक ऐसे स्पॉट को डिस्कवर करेंगे जो
कल्पना से भी ज्यादा सघन और छोटा है, जिसे सिंगुलारिटी कहते हैं, यह वही स्टेट है
जो हमारे ब्रह्मांड के जन्म के समय, बिग बैंग से पहले थी।
ब्लैक होल के अंदर मैटर उस पॉइंट पर पहुंच जाता
है, जहां इसे आगे क्रश नहीं किया जा सकता और ज्यादा कॉम्पैक्ट
नहीं किया जा सकता। यह "पॉइंट" एक अरब सूर्यों के वज़न के साथ अविश्वसनीय
रूप से छोटा हो सकता है। डॉ पोपलावस्की के अनुसार, कॉम्पैक्टिंग प्रोसेस रुक
जाती है, क्योंकि ब्लैक होल स्पिन करते हैं। वे लाइट की स्पीड से
ज्यादा तेजी से घूमते हैं, यह सिर्फ छोटा और भारी ही नहीं बल्कि
कंप्रेस्ड और ट्विस्टेड भी होता है। जो अचानक धमाके के साथ, अनियंत्रित हो
सकता है जैसे बिग बैंग के समय हुआ था, और इसे कहतें हैं वाइट होल, जो ब्लैक होल का
ठीक उल्टा प्रोसेस है, जिसमें एक पॉइंट से मैटर, चाँद, तारे, ग्रह, ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ था।
विज्ञान के अनुसार ब्लैक होल और वाइट होल एक ही
घर के दो दरवाजे हैं | यानि ये एक दुसरे से जुडे हुए हैं , इस थ्योरी को एल्बर्ट
आइंस्टीन ने रोजेन ब्रिज थ्योरी नाम दिया था| आइंस्टीन की इस थ्योरी
के अनुसार ब्लैक होल एक ऐसा पोर्टल है जो किसी भी मैटर को परिवर्तित करके उसे एक
स्थान से दुसरे स्थान तक लेकर जाने का काम करता है |
उदाहरण के लिए, ब्लैक होल प्रत्येक
वस्तु को अपने अन्दर समाहित कर लेता है क्योंकि उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति बहुत
अधिक है यहाँ तक की यह प्रकाश को भी अपने भीतर खींच लेता है और उसके द्वारा खींचा
गया प्रकाश एक अज्ञात माध्यम से होकर वाइट होल तक पहुचता है| ब्लैक होल पर
पड़ने वाला पूरा प्रकाश अब वाइट होल से दिखाई देता है इसलिए इसे वाइट होल की संज्ञा
दी गयी है|
एक ब्लैक होल के इवेंट होराइजन की सीमा में
पहुचने के बाद कोई भी चीज वापिस नहीं आ सकती ठीक इसके उलट वाइट होल के इवेंट
होराइजन से कोई भी चीज अन्दर नहीं जा सकती| अगर हम नासा और विभिन्न
स्पेस लैब्स के रिसर्च पर नजर डालें तो एक बात सामने आती है , ब्लैक होल और वाइट
होल आपस में जुडे हुए हैं| रिसर्च के अनुसार ब्लैक होल जिस किसी भी वस्तु
को निगलता है वह किसी अन्य स्थान पर वाइट होल के माध्यम से उगलता है फिर चाहे वह
कोई दूसरी आकाशगंगा हो या फिर दूसरा ब्रम्हांड|
ब्लैक होल को साइंटिस्ट डिस्कवर कर चुकें हैं
लेकिन वाइट होल को डिस्कवर नहीं किया जा सकता, क्यूकि ब्रह्मांड लगातार फ़ैल रहा है
और इसके एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँच पाना इंसानी राकेट, अंतरिक्ष यान के बस की
बात नहीं और यहाँ तक की सबसे शक्तिशाली दूरबीन से भी इनको नहीं देखा जा सकता
क्यूकि इतने हजारो करोड़ों लाइट वर्ष दूर देख पाना मुमकिन नहीं| वहीँ कुछ वैज्ञानिकों का मानना है की जब एक ब्लैक होल इतना
ज्यादा डेंस और छोटा हो जाता है कि वो और ज्यादा सिकुड़ नहीं पता, तब गामा रे
बर्स्ट होता है यानि सुपरनोवा एक्स्प्लोज़न, और शायद यही वाइट होल हो सकतें है,
जैसे 2006 में हुआ GBR060614 गामा रे बर्स्ट,
वहीँ 2006 के बाद से वैज्ञानिकों ने हबल सहित कई दूरबीन से इस इवेंट को स्टडी किया
है|
वैज्ञानिकों का मानना है
की अब प्रश्न यह उठता है की बहुत ज्यादा मास वाले मैटर जैसे तारे ग्रह उपग्रह आदि ब्लैक
होल के अंदर समाहित कैसे हो सकते हैं क्योंकि ब्लैक होल का आकार निश्चित होता है
और इस कारण इसके अंदर इतने अधिक मात्रा में मैटर कैसे रह सकता है ? इस तरह वाइट होल
की थ्योरी सामने आती है।
विज्ञान के अनुसार व्हाइट होल ब्लैक होल का
दूसरा हिस्सा है जो एक वॉर्म होल से जुड़े होते हैं । यानि ब्लैक होल के इवेंट
होराइजन में कोई भी वस्तु पहुंचने के बाद वापस नहीं आती ठीक उसी तरह वाइट होल के
इवेंट होराइजन के अंदर कोई भी चीज घुस नहीं सकती ।
व्हाइट होल प्रत्येक वस्तु को बाहर निकालता है
और ब्लैक होल प्रत्येक वस्तु को अपने अंदर खींच लेता है । इस थ्योरी के अनुसार
ब्लैक होल को एक टेलिपोर्ट संसाधन भी कहा जा सकता है जो किसी भी मैटर को एक स्थान
से अरबो प्रकाश वर्ष दूर किसी दूसरे स्थान पर पहुंचा सकता है। यहां तक कि किसी
अन्य समानांतर ब्रह्मांड में भी। यानि ब्लैक होल एक दूसरे ब्रह्मांड या आकाशगंगा
या अपने ब्रह्मांड में एक जगह से दूसरी जगह जानें का शॉर्टकट हो सकता है । पिछली
शताब्दी में इस थ्योरी को अल्बर्ट आइंस्टाइन ने रोजेन ब्रिज नाम दिया था, जिस का सिद्धांत
भी ठीक ऐसा ही था ।
व्हाइट होल किसी तारे से अरबों गुना चमकदार
होते हैं और इनके अंदर से वस्तुएं बाहर निकलती है। ब्लैक होल से प्रकाश भी बाहर
नहीं आ सकता क्योंकि यह प्रकाश ब्लैक होल के अंदर जाकर वाइटहोल से निकलता है ।
इसी कारणवश व्हाइट होल अत्यंत चमकदार होते हैं,
इस ब्लैक होल और वाइट होल के बीच में एक सुरंग का काम वर्म होल करता है| ब्लैक होल मॉडल
के अनुसार समय और प्रकाश सबसे अधिक ब्लैक होल के इवेंट होराइजन में कमजोर होते हैं
और सबसे ज्यादा तनाव ग्रसित होते हैं |
यानि प्रकाश ब्लैक होल के इवेंट होराइजन में
अपने सीधी रेखा में चलने के नियम का पालन नहीं करता और अपनी दिशा से बल के अनुरूप
मुड़ जाता है| ठीक इसी प्रकार समय भी ब्लैक होल के इवेंट होराइजन पर जाकर
धीमा हो जाता है, इसलिए वैज्ञानिक इसे समय यात्रा की सम्भावना के
रूप में भी देखते हैं |
मल्टीवर्स थ्योरी
इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, यह जानना
महत्वपूर्ण है पिछले कुछ दशकों में, कई फिजिशियन, साइंटिस्ट्स
का मानना है कि हमारा ब्रह्मांड केवल एक अकेला ब्रह्मांड नहीं है। बल्कि, हम मल्टीवर्स का
हिस्सा हो सकते हैं, यानि अलग-अलग ब्रह्मांडों का
एक विशाल ब्रह्मांड, और हर एक ब्रह्मांड की अपनी आकाशगंगायें, चाँद,
तारें, ग्रह हो सकतें हैं। यह बहस का मुद्दा है, जिसपर वैज्ञानिकों में
डिबेट छिड़ी हुई है, लेकिन इसे प्रूव नहीं किया जा सकता।
मल्टीवर्स यूनिवर्स के अन्दर मौजूद
हर एक यूनिवर्स ब्रह्मांड को समानांतर ब्रम्हांड या पैरेलल यूनिवर्स कहते हैं, तो
प्रश्न उठता है की क्या प्रत्येक ब्लैक होल के निर्माण के साथ ही वाइट होल का भी
निर्माण होता है और फिर ये एक दुसरे से संपर्क कैसे स्थापित करते हैं |
ऐसे में समान्तर ब्रम्हांड थ्योरी सामने आती है
और यह सम्भावना उठती है की जिस ब्रम्हांड में हम रह रहे हैं ठीक इसी के समान्तर
यदि दुसरे ब्रम्हांड में ब्लैक होल का निर्माण होता है तो हमारे ब्रह्मांड में
वाइट होल का निर्माण होगा और यदि हमारे ब्रम्हांड में किसी ब्लैक होल का निर्माण
होता है तो उस समान्तर ब्रम्हांड में वाइट होल का निर्माण होगा |
इससे यह सम्भावना भी बनती है की अगर हमारे आस
पास कोई ब्लैक होल का जन्म हो तो हम उसके ज़रिये से हमारे ब्रम्हांड से शॉर्टकट के
ज़रिये दूसरे ब्रह्माण्ड की यात्रा कर पायेंगे या हमारे जैसी किसी दूसरी पृथ्वी की
यात्रा भी कर पायेंगे|
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